साजिश (अ थ्रिलर स्टोरी) एपिसोड 25
रोशनी का ध्यान अभी हॉल में लगे टीवी पर था। जिसमे न्यूज चल रहे थे। राहुल उसके मोबाइल लेने बाहर आया था और फिर डॉक्टर से डिस्चार्ज पेपर फार्म के चक्कर मे थोड़ा लेट था, लेकिन जब फार्म लेकर लौट रहा था तो उसने देखा कि रोशनी समाचार देख रही थी। समाचार देखकर हैरान होते हुए राहुल ने रोशनी को वहां से चलने को कहा, क्योकि वो नही चाहता था कि दीपक के मौत की खबर रोशनी को हो।
"क्यो सुन रही इतने ध्यान से, तुम तो सब जानती ही हो ना कि ये सारी खबरें बस एक छल है, और कुछ नही।" राहुल ने कहा और रोशनी को कमरे की तरफ ले गया।
"सुनो.." रोशनी बोली।
"ह्म्म्म" राहुल ने कहा।
"इतना सब मीडिया में चल रहा लेकिन पुलिस तुम्हे क्यो नही ढूंढ़ रही है, उन्हें राहुल नाम के झूठे एड्रेश मिल सकते है, लेकिन जब एड्रेश में जायेंगे तो उन्हें पता तो चल ही जायेगा कि राहुल नाम का कोई इंसान है ही नही जो वहाँ रहता है" रोशनी ने कहा।
"यही बात तो खास है, मैं अपना एड्रेश भी सही प्रमाणित कर चुका हूँ, आगे आगे खबर मिलेगी की राहुल नाम के लड़का एक होटल में वेटर था, अगेरा वगेरा। सब कहानियां है, तुम बस अपनी सेहत में ध्यान दो ओके।" राहुल ने कहा।
"मतलब सब प्रि प्लान्ड था, तुम जानते थे अमन तुम्हे मारने आएगा इसलिए तुम घर से बाहर अचानक आ गए थे, लेकिन आगे हुआ क्या, वो कॉल्स, और वो रिकॉर्डिंग जो टीवी में आई" रोशनी बहुत कन्फ्यूज़्ड थी।
"कितने सवाल करती हो? तुम्हारे लिए एक खुशखबरी है, आज डिस्चार्ज हो जाओगी शाम को, हम 6 बजे ही वापस जाएंगे" राहुल ने कहा।
"ओओ…. थेँक्स गॉड….छुटकारा तो मिलेगा"
दोनो बात करते करते जा रहे थे, लेकिन राहुल बार बार दाएं बाएं देख रहा था, साथ मे कभी कभी पीछे मुड़कर भी देख रहा था, उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई उनका पीछा कर रहा हो।
"रोशनी एक बात बताओगी??" राहुल ने सवाल किया।
"हम्म पूछो"
राहुल ने फिर पीछे देखा और थोड़ा जल्दी कदमो को धीमा करते हुए रोशनी के पीछे पीछे चलने लगा और कहा "अगर कभी मैं तुम्हारे साथ ना रहूँ, मेरा मतलब तुम अकेली कही पर……." राहुल की बात अधूरी ही थी कि उसने रोशनी से कहा- "तुम अंदर कमरे में जाओ, मैं अभी आया"
राहुल ने रोशनी को कमरे में भेजने के बाद अविनाश को फोन किया और कहा कि वो जल्दी से कमरे में आ जाये। और खुद दरवाज़ा बन्द करके दरवाजे से थोड़ी दूर जाकर बैठ गया और नजर दरवाजे की तरफ ही रखे रखी। कुछ तो गड़बड़ लग रही थी उसे, ऐसा लग रहा था जैसे कोई अब भी उनके पीछे लगा हुआ है।
थोड़ी देर तक वो नजर बनाये रखा, तभी भागते भागते अविनाश आया और सीधे उस कमरे में गया। उसके जाते ही राहुल भी दौड़ते हुए कमरे की तरफ गया और अंदर जाकर अंदर से कमरा बन्द किया।
"क्या हुआ राहुल, इतनी इमरजेंसी में यहां क्यो बुला लिया?" अविनाश ने कहा । जल्दबाजी में उससे राहुल बोला गया।
रोशनी ने ध्यान नही दिया, जबकि राहुल ने आंख दिखाते हुए इशारा किया।
"बता भी दे?" अविनाश ने कहा।
"इस होस्पिटल में कोई हमारा पीछा कर रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे कोई नजर रखे हुए है।" राहुल बोला।
"लेकिन तुम्हे ऐसा क्यो लगा" रोशनी बोली।
"पता नही, अभी जब मैं डिस्चार्ज पेपर लेकर तुम्हारे साथ आ रहा था तो कोई हमारे पीछे था,थोड़ा दूर था, लेकिन मैंने जब पीछे मुड़कर उसे देखने की कोशिश की तो वो झठ से दीवार की तरफ छिप गया, तब मैं तुम्हे छोड़कर उसके पीछे भी नही भाग पाया , इसलिए तो मैं तुम्हे अंदर भेजकर थोड़ी दूर बैठ गया था ताकि जो भी है कमरे की तरफ आये, लेकिन तब तक अवि आ गया था।" राहुल ने कहा।
"यहां कौन जानता है हमे, और वैसे भी सारे लोग तो पकड़े गए, अमन और अमित ये दो लोगो का पकड़ा जाना बाकी है लेकिन ये लोग खुलेआम घूम नही सकते, क्योकि ये वांटेड लिस्ट में है, इन्हें पुलिस ढूंढ रही है।" रोशनी ने कहा।
"ऐसा नही होता रोशनी, पुलिस तो राहुल को भी ढूंढ रही है, और मैं भी तो खुलेआम घूम रहा हूँ…. " राहुल ने कहा।
"मतलब??" रोशनी ने सवाल किया।
"मतलब यही की राहुल की शक्ल मुझसे मिलती है, यानी जो राहुल बनकर मरा है, वो मेरे जैसा ही है, भले मैं दीपक हूँ……." राहुल बोल रहा था कि रोशनी बोल पड़ी- "प्लीज प्लीज….अब कंफ्यूज ना करो, मुझे नही सुनना राहुल और दीपक की घनचक्कर की तरह घुमाने वाली कहानी, अपने पास रखो, और ये फार्म भर के जमा कर दो, शाम को डिस्चार्ज होकर घर ही जाना है।"
"अब ये सारे काम अविनाश करेगा, क्योकि मैं तुम्हे अकेले नही छोड़ सकता" राहुल ने कहा। राहुल को रोशनी की टेंशन तो थी ही साथ मे खुद की और ज्यादा टेंशन थी। क्योकि राहुल को दीपक ने दुश्मनों के नाम तो गिनाए थे लेकिन शक्ल नही दिखाई थी, अगर कोई दुश्मन सामने भी खड़ा रहे तो राहुल बेचारा उसे पहचान नही पायेगा, और पहचान भी लिया तो वो लड़ पाने में सक्षम नही था। झगड़े के नाम पर हमेशा मार ही खाई थी राहुल ने, ऐसे में उसमे इतना कॉन्फिडेंस नही था कि वो दीपक कि तरह ही दुश्मनों से लड़ पायेगा। इतना जरूर था कि वो रोशनी की सेफ्टी का सोच रहा था लेकिन भाग भागकर। अगर राहुल की जगह दीपक होता तो वो रोशनी को घर से भागकर आने को कभी नही कहता, और दीपक के मरने की खबर नही आई होती तो अमित की भी ये हीम्मत नही होती कि वो रोशनी को पकड़वाने या मरवाने की कोशिश करता। क्योकि अमित को एक बार दीपक ने उसके चार साथियों के साथ पटक पटक के मारा था इसलिए अमित डायरेक्ट कभी भी दीपक ने भीड़ नही पाया हालांकि वो जानता था कि दीपक अकेले रहता है लेकिन हार जीत के लिए बहुत सारे लोगो का होना जरूरी नही होता कभी कभी अकेले लड़ने वाला भी अपने दिमाग और बाहुबल से जीत सकता है।
"मुझे अकेले तो मैं कभी नही छोड़ने दूँगी, और इतना भरोसा तो मुझे है कि जब तक तुम मेरे साथ हो मुझे कोई छु भी नही सकता, तुम्हारा साथ जरूरी है। पास रहो या दूर, लेकिन तुम हमेशा मेरे साथ ही रहते हो।" रोशनी गर्व से बोली।
राहुल हल्का मुस्कराते हुए- "ये तुम्हारा मोबाइल"
"हम्म थेँक्स" रोशनी बोली।
रोशनी ने अपना मोबाइल लिया और मम्मी को फोन करने लगी ये बताने के लिए की शाम को आ जाएगी घर।
******
"साहब…. बहुत बड़ा झोल है, इधर हॉस्पिटल में जहां रोशनी की सर्जरी हो रही थी यहां दीपक भी है, साहब वो मरा नही है साहब…. हमे और लोग चाहिए क्योकि हम सिर्फ चार लोग है, चार लोग और भेज दो…. शाम को छह बजे वो डिस्चार्ज होंगे, तो हॉस्पिटल से बाहर ही कहीं सुनसान जगह में उन्हें पकड़ लेंगे" एक आदमी ने हॉस्पिटल के वॉशरूम में खड़े होकर धीमी आवाज में कहा।
"अगर वो सच मे दीपक है तो अमन ने किसको मारा था, ये चल क्या रहा है यार…. अच्छा रोशनी का हो गया प्लास्टिक सर्जरी, पहचान में आ रही क्या?" फोन से दूसरा आदमी बोला।
"बिल्कुल बदल गयी है, लेकिन एक दम मस्त लग री है, बोले तो मारने से पहले अड्डे में ले आऊँ एक बार, मारना तो है ही, बाद में मार लेंगे।" आदमी बोला।
"लेकिन हमें तो दीपक भी इस बार जिंदा ही चाहिए क्योकि रघु की लड़की उसके कब्जे में है, और रघु हमारे लिए खतरा है, जब तक रघु की लड़की हमारे कब्जे में नही आती तब तक हम रघु से कोई काम नही ले सकते, ना ही उसे कुछ कर सकते है" आदमी बोला।
"लेकिन दीपक और रोशनी दोनो को अड्डे में लाना तो मुश्किल है, कहीं बात काबू से बाहर गयी तो दोनो में से कोई हाथ नही आएगा।" आदमी बोला।
"एक काम करो, दोनो को अलग अलग गाड़ी में पैक करके अलग अलग एड्रेश पर ले जाओ, दीपक को पीट पीट के घायल करके लाना, क्योकि सही सलामत लाना शेर के मुंह मे हाथ डालना होगा, और उस नाजुक रोशनी को मेरे घर पर ले आओ, उसका काम वही तमाम करेंगे।" आदमी ने कहा।
"आप बस आदमी और गाड़ी भेज देना, अभी कोई आ रहा है" आदमी ने कहा और जल्दी से फोन काट कर जेब मे डाल दिया और शीशे में खुद को देखकर मुंह धोने लगा।
राहुल ही था जो वॉशरूम में आया, जैसे ही उस आदमी ने राहुल को शीशे में आते हुए देखा तो मुंह को ऐसे रगड़ने लगा जैसे कब से धोया नही।पानी की छपाक डाले जा रहा था, ताकि दीपक उसे पहचान ना पाए। उसकी धड़कन इतनी तेज हो गयी थी जैसे उसकी आज अच्छे से धुलाई होने वाली है।
कहानी जारी है
Fiza Tanvi
27-Aug-2021 05:59 PM
Nice💐💐
Reply
Sana khan
27-Aug-2021 12:33 PM
Wow
Reply